गर्भस्थ शिशु के बारे में गर्भवती मां को यहां मिलेगी काम की जानकारी
सेहतराग टीम
मां बनने के लिए एक स्त्री की सही उम्र और स्वस्थ होना बहुत जरूरी होता है। अगर शरीर स्वस्थ होगा तो ही बच्चा स्वस्थ रहेगा। अक्सर देखा जाता है कि गर्भा धारण करने के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे में रोज बदलाव होते हैं। जैसे गर्भधारण करने के बाद बच्चे का विकास कैसे होता है। वैसे तो लोग इस जानकारी से अनजान होते हैं, लेकिन गर्भवती को इसकी जानकारी जरूर होनी चाहिए ताकि बच्चे के विकास के दौरान होने वाले बदलावों से वह परेशान न हो। यहां जानिए कि गर्भ में बच्चे का विकास कैसे होता है।
गर्भवती लिए जानने योग्य बातें-
1- मां के गर्भ में जब शिशु 32 दिन का होता है तो प्रथम चिन्हों के रूप में केवल सिर व चेहरे के मुख्य अंग ही स्पष्ट हो पाते हैं।
2- गर्भ के 40वें दिन शिशु के मस्तिष्क व आंखों की रचना हो चुकी होती है।
3- गर्भ के 46वें दिन गर्भस्थ शिशु के सभी अंग- हाथ, पांव और उंगलियां बन जाती हैं, लेकिन इन अंगों की अपेक्षा सिर अनुपात में बहुत बड़ा होता है।
4- गर्भ के 60 दिन बाद बांहें व टांगे बढ़ने लगती हैं, लेकिन शरीर की अपेक्षा सिर का आकार बड़ा होता है।
5- लगभग 120 दिन बाद गर्भ में शिशु विकसित आकार धारण कर लेता है तथा सभी अंगों की पहचान संभव होती है।
6- लगभग 180 दिन बाद गर्भ में शिशु के बााल उगने लगते हैं और शरीर की रचना पूर्ण हो जाती है। शिशु गर्भ में हिलने डुलने लगता है।
7- कई बार 200 दिनों बाद समय से पूर्व बच्चा जन्म ले लेता है। याद रहे, इस अवस्था में जन्म लेने वाले बच्चे का विकास अधूरा व बच्चा बहुत कमजोर व आकार में छोटा होता है।गर्भस्थ शिशु के शरीर में सबसे अंत में फेफड़े का विकास होता है और यदि बच्चा समय पूर्व पैदा होता है तो उसे सांस लेने में तकलीफ होती है क्योंकि फेफड़े सही तरीके से विकसित नहीं होते। इसलिए उन्हें इन्क्यूबेटर में रखने की जरूरत होती है। याद रहे आठवें माह के दौरान जन्मे बच्चे अक्सर बच नहीं पाते हैं।
8- हालांकि पूर्ण गर्भावस्था को 38 से 40 सप्ताह का माना जाता है। मगर 37वें से लेकर 40वें सप्ताह तक शिशु का जन्म सुरक्षित समझा जाता है। गर्भधारण के सप्ताह की गणना जिस महीने गर्भधारण हुआ है उससे पिछले महीने महिला के मासिक स्राव की तिथि से की जाती है। इसकी सटीक गणना डॉक्टर से ही करवानी चाहिए।
9- प्रसव का समय निकट आने के साथ-साथ गर्भवती मां को शिशु की हर हलचल का ध्यान रखना चाहिए। कई बार गर्भ का समय पूर्ण होने के बावजूद मां को प्रसव पीड़ा नहीं होती। ऐसे में गर्भस्थ शिशु की हलचल से यह पता चलता है कि बच्चा पेट के अंदर परेशानी में तो नहीं है। उस स्थिति में तत्काल सीजेरियन ऑपरेशन के जरिये बच्चे को निकालना अनिवार्य हो जाता है। इसलिए नवें महीने में बच्चा यदि अस्वाभाविक हलचल करे तो तत्काल डॉक्टर से मिलना चाहिए।
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